कैसे
करें चन्दन कि खेती (Business sandal Tree Farming)
आज के यूग में
चन्दन कि खेती करके किसान भाई लाखों और करोड़ों कमा सकते है! कृषि विज्ञानिकों का
कहना है कि इसकी खेती करने से 15 साल के बाद अच्छी Income कि उम्मीद है! इसके पेड़
से निकला गया तेल भी काफी महंगा बिकता है! चन्दन के एक पेड़ से लगभग २ लीटर तेल
प्राप्त होता है! यही नहीं बल्कि इसके बिज़ और इसकी सुखी हुई लकरी भी महंगे दामों
में बिकती है! आज में आपको चन्दन कि खेती कैसे कि जाती है इसकी पूरी जानकारी देने
जा रहे है!
चन्दन की
खेती कैसे करें? (How to start Sandal Tree Farming?)
तो अगर आप भी
चन्दन कि खेती और बिज़नस करने कि सोच रहे है तो आप के लिए खुशखबरी है! क्या आप
जानते है कि चन्दन की खेती करके आप मात्र 15 साल में आराम से कारोड़पती बन सकते है!
तो चलये जानते है चन्दन की खेती से जुड़े जानकारी एवं प्रोजेक्ट प्लान को पूरी
डिटेल्स से!
मिटटी का
चयन व् तैयारी (Selection of Soil)
चन्दन कि खेती के
लिए काली, लाल, चिकनी बलुई मिटटी अच्छी होती है! Mineral एवं moisture यूक्त मिटटी
में इसका विकास कम होता है! नम मिटटी जैसे की अच्छी तरह सुखा जलोढ मिटटी चन्दन की
खेती के लिए अच्छी नहीं मणि जाती है क्योँ की इसके वजह से पेड़ों में heartwood तेल की कमी हो
जाती है! पुराणी मिटटी पर इसकी खेती करने से पेड़ में बेहतर तेल निकले जा सकते है
जबकि यह मिटटी जल-जमाव का सामना नहीं कर पाती!
पोधे को रोपने से
पहले खेत की दो से तीन बार अच्छे से गहरी जुताई करनी परती है! जुताई हो जाने के
बाद 2x2x2 फीट का गढ्ढा खोद कर उसे कुछ दिनों के लिए सूखने के लिए छोड़ दिया जाता
है!
जलवायु (Climate)
चन्दन की खेती के
लिए जिस क्षेत्र का जलवायु मध्यम वर्षा, भरपूर मात्रा में धुप और शुष्क मौसम कि
लम्बी अवधि वाले है उसे चन्दन की खेती के लिए अच्छा मन गया है! मौसम चेंज के कारन
निमार का मोसम इसकी खेती के लिए उचित होता है! इसके पौधे के लिए PERFECT टेम्परेचर
120c से 300c के बीच होता है! इसकी खेती के लिए 500 से 625
मिमी. तक वार्षिक वर्षा कि आवश्यकता होती है!
पौधे का
रोपण (Planting of Trees)
एक एकड़ भूमि में
कुल 435 पौधे लगाये जा सकते है, पौधों से पौधों की दूरी 10 फूट की होनी चाहिएI बीज
रोपण हेतु गढ्ढे का आकर 45cm x 45cm४ x 45cm होना चाहिए! आमतोर पर चन्दन मई और
अक्टूबर के बीच के महीनों में प्रतियारोपित की जाती है! स्थानीय किस्म के प्रदूषण
को रोकने के लिए, इन के बीज को लगाने के लिए केवल शहरी क्षेत्र को ही चुने न की
Protected forest area को!
खाद
प्रबंधन (Manure Management)
चन्दन की खेती के
लिए जैविक खाद (Fertilizer) की अधिक आवशयकता नहीं होती है! सुरुआत में पेड़ कि वृद्धि
के समय खाद की जरुरत परती है! लाल मिटटी के दो भाग, खाद के एक भाग और बालू के एक
भाग को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है! Silt (गाद) भी पौधों के लिए बहुत
अच्छा पोषण पैदा करता है!
सिंचाई
प्रबंधन (Irrigation Management)
बरसात के समय तो
चन्दन के पेड़ का काफी तेजी के ग्रोथ होता है लेकिन गर्मी के मौसम में सिकी सिंचाई
अधिक करनी होती है! सिंचाई मिटटी में नमी absorb करने की capacity तथा weather पर
देपेंद करता है!
शुरुआत में बरसात
के बाद दिसम्बर ले मई तक सिंचाई करते रहना चाहिए रोपण के बाद जब अक बीज का 6 से 7
सप्ताह अंकुरण शुरू न हो जाये तब तक सिंचाई को रोकना नहीं चाहिए! चन्दन की खेती
में पौधों की विकास के लिए मिटटी का हमेशा नम और जल भराव होना जरुरी होता है!
अंकुरित होने के बाद केवल alternate days पर ही सिंचाई करें!
खरपतवार
चन्दन की खेती
करते समय, चन्दन के पौधे की पहले साल में सबसे अधिक देख भाल की आवस्यकता होती है!
पहले साल में पौधों के इर्द-गिर्द की खरपतवार को हटा देना चाहिए! यदि आवश्यक हो तो
दुसरे वर्ष में भी साफ-सफाई कर देना उचित रहता है! किसी भी तरह का पर्वतारोही या
जंगल छोटा कोमल पौधा के चरों ओर हो तो कटोती कर दें!
कीट व
रोग नियंत्रण
(sandal spike) सनडल
स्पाइक नाम का एक रोग है जो चन्दन के पेड़ का सबसे बड़ा दुश्मन कहलाता है! इस रोग के
लगने से चन्दन के पेड़ के सभी पत्ते एंठ कर छोटे हो जाते है साथ ही पेड़ टेढ़े मेढ़े
हो जाते है! अब तक इस रोग के बचाओ के लिए सभी प्रयत्न नाकाम साबित हुए है! अभी तक इसका
कोई इलाज इजाद नहीं हुवा है, पर मेरा मानना है की पप्रकृति में सब कुछ उपाय है और
उसका इलाज उपलब्ध है!
जब भी आप चन्दन
के पेड़ लगाये, उसके 5 से 7 फीट की दुरी पर एक नीम का पौधा लगा दें ताकि कई तरह के
किट-पतंग से चन्दन के पेड़ कि सुरक्षा हो सके! कोशिश करें की हर तीन चन्दन के पेड़
के बाद एक नीम का पौधा जरूर लगा दें!और खरपतवार को आस पास नहीं जमा होने दें!
फसल की
कटाई
चन्दन की पेड़ कि
जड़ें (root) भी बहुत खुशबुदार होता है इसलिए इसके पेड़ को काटने के बजे जड़ सहित
उखाड़ लिया जाता है! पौधे को रोपने के 5 साल बाद से चन्दन के रसदार लकड़ी बनना शुरू
हो जाता है!
चन्दन पेड़ को
काटने के बाद उसकी लकड़ी से दो पार्ट (भाग) निकलते है एक जिसे राजदार लकड़ी कहा जाता
है और दूसरा सुखी लकड़ी! दोनों ही लकड़ियों का price (दाम) अलग-अलग होता है! चन्दन
के पेड़ जब 14 से 15 साल पुराना हो जाता है तब जा कर इसके पेड़ से लकड़ी प्राप्त की
जाती है! पेड़ को जड़ सहित उखाड़ लेने के बाद इसे Pieces (टुकरों) में काट कर इसे Hart
wood को अलग कर लिया जाता है!
बाज़ार भाव (market price
आप को जान कर
हैरानी हगी की आज के date में 1 kg sandal wood का price Rs. 5000 से 6000 तक है!
और इसकी डिमांड इतनी है की हमारे देश में ही इसकी आपूर्ति नहीं हो पाती है! इसके
इलावा चन्दन की लकड़ी की मांग chaina, indonesia, America और कई देशो में है!
एक परिपक्व चन्दन
के पेड़ का वजन 20 से 40 kg तक हो सकता है! उस अनुमान से, पेड़ की काट छांट के बाद
भी आपको पेड़ से 1 लाख से लेकर 2 लाख तक आसानी से मिल सकता है !
इस तरह यदि आप
100 चन्दन के पेड़ का plantation भी करते है तो उस मैसे अगर 70 पेड़ भी बड़े हो जाते
है तो आप 15 से 17 साल में एक करोड़पति व्यक्ति बन सकते है! यह किसी भी बैंक के fix
diposit या real estate से भी कई गुना आपको return दे सकता है!
इसमें कोई दो राय
नहीं है की sandal wood tree forming एक profitable business (लाभदायक व्यापार)
है, अगर आप इसे पूरी जानकारी और पेशेंस के साथ करें तो इससे अच्छा कोई भी market
में business नहीं है!
loan
अब कई राष्ट्रीयकृत
बैंक और को-ओप्रेटिव बैंक भी चन्दन कि लकड़ी वृक्षारोपण प्रोजेक्ट के लिए बैंक loan
दे रही है!
Rules and Regulation
हमारे इंडिया में
अलग-अलग स्टेट में sandal tree के लिए अलग – अलग नियम है! वर्ष 2000 के पहले आम
लोगों को चन्दन को और काटने की मनाही थी और तो और, अगर आपके घर के पीछे चन्दन का
पेड़ है, तो उस पर आपका मालिकाना हक़ नहीं होगा, और यह किसी कारन से चोरी हो गया, तब
तो forest department आपकी अच्छी खबर लेंगे!
परन्तु वर्ष 2000
के बाद govt. ने कई नियम में ढिलाई दी है, जिसके बाद पिछले 12 से 15 साल में कई
किसान भाई gujarat, आन्ध्रप्रदेश एवं उत्तराखंड और कई राज्यों में चन्दन की खेती
कर रहे है! अगर आप भी चन्दन की खेती और इस business से जुड़ने की सोच रहे है तो आपको
इसकी कटाई के लिए state govt. से लाइसेंस लेना पड़ेगा! इसके लिए आप नजदीकी forest
department से अधिक जानकारी ले सकते है!
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